मैं मौलिकता के लिए कोई दावा नही करता- एम.के. गाँधी

मैं मौलिकता के लिए कोई दावा नही करता- एम.के. गाँधी

मैंने भारतीय होम रूल  पर २० अध्याय लिखें हैंजिन्हें मैं इंडियन ओपिनियन‘ के पाठकों के सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ मैंने बहुत पढ़ा हैऔर बहुत विचार किया है. लंदन में ट्रांसवाल भारतीय प्रतिनियुक्ति के चार महीनों के दौरे मैं जितने देशवासियों से चर्चा कर सकता थामैंने चर्चा की मैं बहुत अंग्रेज़ों से भी मिलाजितना मेरे लिये संभव था उनसे मिला मैं इसे अपना कर्त्तव्य मनता हूँ की मैं इसका निष्कर्ष इंडियन ओपिनियन के पाठकों के सामने रखूँजो निष्कर्ष मुझे निर्णायक प्रतीत होते हैं। इंडियन ओपिनियन के करीब ८०० गुजराती अभिदाता हैं। मैं इस बात से अवगत हूँ की हर एक अभिदाता की जगह पर १० और लोगों ने अभिरुचि से पत्रिका को पढ़ा है। जिन लोगों को गुजराती पढ़नी नहीं आतीउन लोगों के लिए पत्रिका पढ़ी गयी। ऐसे लोगों ने अक्सर मुझसे भारत की स्थितियों के बारे में पूछताछ की है। लंदन में इसी तरह के सवाल मुझसे पूछे गए। इसलिए मैंने महसूस किया कि निजी तौर पर मेरे द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करना मेरे लिए अनुचित नहीं होगा।

ये विचार मेरा हैंऔर फिर भी मेरा नहीं हैं। वे मेरे हैं क्योंकि मैं उनके अनुसार कार्य करने की आशा करता हूँ वे लगभग मेरे अस्तित्व का एक हिस्सा हैं लेकिनफिर भीवे मेरी नहीं हैंक्योंकि मैं मौलिकता का कोई दावा नहीं कर रहा हूँ कई किताबें पढ़ने के बाद उनका गठन हुआ है।             

अंश- हिंद स्वराजएम.के. गांधी

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